Har koi zubaan waala hai magar wo zubaan nahin rakhta
Apne andar saadgi aur doosron ke liye dua nahin rakhta
Kaat kar main rakh chuka hun apne dil ko uske kadmon mein
Magar wo be-gairat mere lahu ke bhi nishaan nahin rakhta
हर कोई ज़ुबान वाला है मगर वो ज़ुबान नहीं रखता,
अपने अंदर सादगी और दूसरों के लिए दुआ नहीं रखता,
काट कर मैं रख चुका हूँ अपने दिल को उसके कदमों में,
मगर वो बे-गैरत मेरे लहू के भी निशान नहीं रखता..!!
हर कोई ज़ुबान वाला है मगर वो ज़ुबान नहीं रखता,
अपने अंदर सादगी और दूसरों के लिए दुआ नहीं रखता,
काट कर मैं रख चुका हूँ अपने दिल को उसके कदमों में,
मगर वो बे-गैरत मेरे लहू के भी निशान नहीं रखता..!!
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